Wednesday, May 2, 2012

कही अनकही बतकही


में  अपने 5 साल के बेटे शिबू के साथ शोले देख रहा था . ये फिल्म मैंने  नहीं लगाई  थी.  ये शिबू ने रीमोते  कण्ट्रोल   से खुद लगाई  थी । ये फिल्म मेरे खानदान क़ी पाँचवी पीढी देख रही थी। पिचली 4  पीढ़ी ने इस फिल्म को बहुत पसंद किया था. अब  पाँचवी पीढी क़ी बारि थी। ये पीढी दोरेमन और शिन्चन वाली पढ़ी हैं. मैंने शिबू से बोला बेटा ये बड़ी पुरानी फिल्म  हैं छोड़ो कुछ और देखते हैं। पर शिबू के जवाब ने मुझे हैरान कर दिया. वो बोला पापा फिल्म तो बहुत शानदार हैं। उसका कमेन्ट और अनाल्य्सिस तो और भी गजब का था। उसका पहला कमेन्ट था पापा ये जय और वीरू क्या बहुत अच्छे  दोस्त थे. ये गब्बर क्या   लादेन से भी अधिक खतरनाक  था.  पहले प्रशन  का जवाब आसान  था दूसरा उताना ही  परेशांन करने वाला । yadi mein Laden kahata to pseudosecularist naraz ho jate kyonki unke liye Laden to LADEN JI hein, Gabbar aaj tak gabbar he rah gaya kyon ke uska koi vote bank community se bechara belong he nahi karata tha. to mein question ka answer he nahi diuya tab tak doosra question aa gaya.  गब्बर ने जब ठाकुर का हाथ काट दिया तो दुबारा हाथ कैसे उग आया ( फिल्म फ्लाश्बैक में चली  गयी थी) . खेर मैंने ये समझा दिया पर और प्रशन आ गये. पापा जय और वीरू दोनों ही लड़की से बात कर रहे, पर  शादी कौन करेगा. मैंने भी  चुटकी ली,  पता नहीं, देखते हैं,  कौन पटा पता हैं, ईशा देओल  क़ी ममी को।  पापा, गब्बर ने सब को मारा, ठीक पर मेरे  जैसे प्यारे छोटे बच  को मार दिया, ये तो बहुत गन्दा आदमी हैं . पापा ये मौसी तो नाक से बोलती हैं। पापा कालिया तो बहुत मुर्ख था उसे तो गब्बर को उडा  देना चहिये था. पिक्चर ख़तम हो गयी शिबू सोने के तयारी करने लगे पर वो सो नहीं रहे थे सुबह स्कूल जाना था, मैंने बोला सो जाओं, नहीं तो गब्बर आ जायेगा . और ये तो कमाल  हो गया शिबू सो गया . क्या बात हैं शोले 40 साल बाद भी एफ्फेक्टिवे हैं।  सिप्पी जी की  जय हो, आप अमर हो,  शोले  बना कर के.  

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