Thursday, October 4, 2012

मैं अपने 5 साल के बेटे शिबू के साथ शोले देख रहा था . ये फिल्म मैंने  नहीं लगाई  थी.  ये शिबू ने रिमोट कंट्रोल  से खुद लगाई  थी । ये फिल्म मेरे खानदान क़ी पाँचवी पीढी देख रही थी। पिछली 4  पीढ़ी ने इस फिल्म को बहुत पसंद किया था. अब  पाँचवी पीढी क़ी बारी  थी। ये पीढी दोरेमन  और शिन्चन वाली पढ़ी हैं. मैंने शिबू से बोला, बेटा ये बड़ी पुरानी फिल्म  हैं छोड़ो कुछ और देखते हैं। पर शिबू के जवाब ने मुझे हैरान कर दिया. वो बोला पापा फिल्म तो बहुत शानदार हैं। उसका कमेन्ट और अनाल्य्सिस  तो और भी गजब का था। उसका पहला कमेन्ट था पापा ये जय और वीरू क्या बहुत अच्छे  दोस्त थे. ये गब्बर क्या लादेन से भी अधिक खतरनाक  था.  पहले प्रशन  का जवाब आसान  था पर  दूसरा उताना ही  परेशांन करने वाला । यदि मैं  लादेन को कहता तो  pseudosecularist नाराज हो जाते  क्योंकि उनके लिए तो लादेन, "LADEN जी"  हैं , गब्बर आज तक बेचारा गब्बर ही रह गया क्योंके वो तो कोई वोट बैंक कम्युनिटी से belong   करता  ही नहीं था.  तो मैंने प्रशन को ही टाल दिया तब तक दूसरा प्रशन आ गया   गब्बर ने जब ठाकुर का हाथ काट दिया तो दुबारा हाथ कैसे उग आया ( फिल्म फ्लाश्बैक में चली  गयी थी, शिबू समझ नहीं पाए ) . खैर   मैंने ये समझा दिया पर और प्रश्न  आ गये. पापा जय और वीरू दोनों ही लड़की से बात कर रहे हैं , पर  शादी कौन करेगा. मैंने भी  चुटकी ली,  पता नहीं, देखते हैं,  कौन पटा पता हैं, ईशा देओल  क़ी मम्मी  को।  पापा, गब्बर ने सब को मारा, ठीक पर मेरे  जैसे प्यारे छोटे बचे   को मार दिया, ये तो बहुत गन्दा आदमी हैं . पापा ये मौसी तो नाक से बोलती हैं। पापा कालिया तो बहुत मुर्ख था उसे तो गब्बर को उडा  देना चहिये था. पिक्चर ख़तम हो गयी शिबू सोने की  तैयारी   करने लगे पर वो सो नहीं रहे थे सुबह स्कूल जाना था, मैंने बोला सो जाओं, नहीं तो गब्बर आ जायेगा . और ये तो कमाल  हो गया शिबू सो गया . क्या बात हैं शोले 40 साल बाद भी प्रभावशाली  हैं।  सिप्पी जी की  जय हो, आप अमर हो गए हो , शोले  बना कर के.